ग़ज़ल
मेरे दिल में गम का सागर और गम की ही बातें हैं |
खुशियों के दिन बेहद छोटे, लम्बी, काली रातें हैं ||
दुनिया में जो मैंने देखा, कह पाना नामुमकिन है ,
नज़र यहाँ पर ज़हरीली है, गहरी जिनकी घातें हैं ||
रिश्तों का तो नाम यहाँ पर, लेना एक कडवाहट है,
दुश्मन वो ही यहाँ बड़े हैं, जिनसे दिल के नाते है ||
कहते हैं ये - ईश्वर ने ये अपना चमन बसाया है,
पर, शायद दिल बहलाने को, हम खुद को भरमाते हैं ||
उपज न जाने किस शैतानी फितरत की है, ये दुनिया,
जिसमें हर पल, काटों में हम, खुद दामन उलझाते हैं ||
दिल बहलाने को बस केवल एक यहाँ पर राह मिली,
दिल की आग बुझाने को जो, आंसू की बरसातें हैं ||
रचनाकार - अभय दीपराज
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