ग़ज़ल
कभी - कभी इन्सां अपनी भी सूरत से डर जाता है |
कुछ खुशियाँ ऐसी होती हैं जिनसे ये दिल भर जाता है ||
कुछ फूलों की रौनक भी आँखों को यूँ पथरा देती हैं,
खुद ही जिसके गम से इन्सां दिल, जीते जी मर जाता है ||
कुछ घड़ियाँ ऐसी होती हैं, कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं,
जिनके न होने से ज्यादा, होने का गम तड़पाता है ||
शायद वो ये सोचेंगे- उनका प्यार मुझे गम दे ता है,
झूठ है ये पर ये भी सच है- दिल उनसे कतराता है ||
चाहत भी एक मजबूरी है, नफरत भी एक मजबूरी है,
दूरी ही शायद मिलने की खुशियों को और बढाता है ||
दिल के गमगीं या खुश होने का चेहरे से एक नाता है,
जो रंगत बनकर चेहरे की, जीवन का हाल बताता है ||
जीवन जीने और खुश रहने की, ख्वाहिश सबमें होती है,
पर कुछ लोगों को ये जीवन, हद से अधिक सताता है ||
इन्सां होना बड़ी सजा है, इन्सां न होने से बढ़कर,
लेकिन , ये वो दर्द है जिसका होना मुझे सुहाता है ||
रचनाकार - अभय दीपराज
कभी - कभी इन्सां अपनी भी सूरत से डर जाता है |
कुछ खुशियाँ ऐसी होती हैं जिनसे ये दिल भर जाता है ||
कुछ फूलों की रौनक भी आँखों को यूँ पथरा देती हैं,
खुद ही जिसके गम से इन्सां दिल, जीते जी मर जाता है ||
कुछ घड़ियाँ ऐसी होती हैं, कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं,
जिनके न होने से ज्यादा, होने का गम तड़पाता है ||
शायद वो ये सोचेंगे- उनका प्यार मुझे गम दे ता है,
झूठ है ये पर ये भी सच है- दिल उनसे कतराता है ||
चाहत भी एक मजबूरी है, नफरत भी एक मजबूरी है,
दूरी ही शायद मिलने की खुशियों को और बढाता है ||
दिल के गमगीं या खुश होने का चेहरे से एक नाता है,
जो रंगत बनकर चेहरे की, जीवन का हाल बताता है ||
जीवन जीने और खुश रहने की, ख्वाहिश सबमें होती है,
पर कुछ लोगों को ये जीवन, हद से अधिक सताता है ||
इन्सां होना बड़ी सजा है, इन्सां न होने से बढ़कर,
लेकिन , ये वो दर्द है जिसका होना मुझे सुहाता है ||
रचनाकार - अभय दीपराज
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