Sunday, October 17, 2010

GAZAL - 3

                    ग़ज़ल

कभी -  कभी   इन्सां   अपनी   भी   सूरत  से   डर   जाता   है |
कुछ  खुशियाँ  ऐसी  होती हैं  जिनसे  ये  दिल  भर  जाता  है ||

कुछ   फूलों   की   रौनक   भी   आँखों  को  यूँ  पथरा देती हैं,
खुद ही जिसके गम से इन्सां दिल, जीते जी मर जाता है ||

कुछ   घड़ियाँ   ऐसी   होती   हैं,   कुछ   रिश्ते   ऐसे   होते  हैं,
जिनके   न   होने   से   ज्यादा,  होने   का   गम   तड़पाता  है ||

शायद  वो  ये  सोचेंगे-    उनका   प्यार   मुझे   गम  दे ता  है,
झूठ  है  ये   पर  ये  भी  सच   है-   दिल   उनसे   कतराता   है ||

चाहत   भी   एक   मजबूरी  है,  नफरत   भी एक  मजबूरी है,
दूरी  ही   शायद   मिलने   की   खुशियों   को  और  बढाता है ||

दिल  के  गमगीं  या  खुश   होने   का  चेहरे से एक नाता है,
जो   रंगत   बनकर  चेहरे   की,  जीवन  का  हाल बताता है ||



जीवन  जीने  और  खुश  रहने की,  ख्वाहिश  सबमें होती है,
पर  कुछ  लोगों  को  ये  जीवन,  हद  से  अधिक  सताता है ||


इन्सां   होना   बड़ी   सजा   है,   इन्सां   न   होने  से   बढ़कर,
लेकिन ,  ये   वो   दर्द   है   जिसका   होना   मुझे  सुहाता है ||


                              रचनाकार - अभय दीपराज

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