Tuesday, October 12, 2010

GHAZAL - 1

                        ग़ज़ल

मैं  एक  विद्रोही  इन्सां हूँ क्योंकि मैं कमज़ोर नहीं हूँ |
ज्वाला है मेरी आँखों मैं क्योंकि मैं कोई चोर नहीं हूँ ||

मैंने  जो   भी   कड़वा - मीठा,  देखा - भोगा   कह   डाला,
क्योंकि मैं एक जिंदा इन्सां हूँ कोई मुर्दा दौर नहीं हूँ ||

मैंने   ये   शिक्षा   पाई   है -   सिद्धांतों   के   लिए   जिओ,
जो   बसंत   को   बहलाने को नाचे मैं वो मोर नहीं हूँ ||

मुझे    पाप    के    झंझावातों    से    टकराना   भाता   है,
आंधी-  पानी  जिसे   मिटा  दे  मैं वो दुर्बल बौर नहीं हूँ ||

जब भी और जहाँ भी मुझको सच और न्याय  पुकारेगा,
मुझे वहीँ पर पाओगे तुम क्योंकि मैं रणछोड़  नहीं हूँ ||

ईश्वर    जितनी   मुझे  रौशनी   देगा,  मैं    सबमें   बांटूंगा,
कोई छाया जिस प्रकाश को ढक ले मैं वो भोर नहीं हूँ ||


                        रचनाकार - अभय दीपराज