Wednesday, October 20, 2010

GHAZAL - 6

                     ग़ज़ल

दुनिया के कुछ लोगों के लिए मेरी सूरत इनी काली है |
जिसके जीने पर मातम है और मौत पे एक दीवाली है ||

शायद मैं उन्हीं के हिस्से की साँसों को चुरा कर जीता हूँ,
इसलिए ही शायद पानी का भी,  बर्तन उनका खाली है ||

मैं  भी  अपनी  माँ  का  बेटा,  अपनी  बहनों  का भाई हूँ ,
पर, जाने  क्यों  मेरे हर हक पर, उनकी आँख सवाली है
||

ये  धरती  भी, वो  अम्बर भी या खुदा उन्हीं का कैसे है ?
कोई तो मुझे ये समझाए, क्यों उनकी नज़र मतवाली है |
|

मुझको  वो ज़हर कहते है पर , कुछ मेरे भी वो हमदम हैं,
जो  मुझे  प्यार  से  कहते  हैं -  तू फूलों की एक डाली है ||

वो  जीने  न  देंगे  मुझको ,  ये  ख्वाब  उन्होंने  पाला है ,
लेकिन  मेरा  दिल  कहता  है  ये  बात  न  होने  वाली है ||


                       रचनाकार - अभय दीपराज

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