Thursday, October 21, 2010

GHAZAL - 12

                           ग़ज़ल

कहती है मुझे पागल दुनिया,  मैं भटका  हुआ  इंसान  जो  हूँ |
दर्द भरी एक  नज़्म  जो हूँ,  एक  बिना  बिका  ईमान  जो  हूँ ||

वो  वारिस  मुझे  बनाते  हैं,  अपनी  नापाक  तमद्दन  का,
नाराज़ हैं मेरी  फितरत पर , मैं   उनका  भी  अरमान  जो  हूँ ||

वो  मुझको  समझ  कर  के दुश्मन,  बन  बैठे  हैं  मेरे  दुश्मन,
राहों  के  खारों  के  लिये  मैं,  मौत  का  एक  फरमान  जो हूँ ||

कर लूँगा सफ़र मैं मंजिल तक,  हर ठोकर  भी  मैं  सह  लूँगा,
पर, राह नहीं देती दुनिया,  मैं   उसके   लिये   तूफ़ान  जो  हूँ ||

तकदीर से शिकवा कोई नहीं, मालिक से शिकायत है लेकिन,
राही मैं सही,  कोई  बात  नहीं,  पर  राहों  से  अंजान  जो  हूँ ||

                           रचनाकार - अभय दीपराज

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