Sunday, October 9, 2011

Ghazal - 125

अभय कान्त झा दीपराज कृत-
                                           ग़ज़ल
ज़िन्दगी में तुम्हें जब भी ठोकर लगे, याद रखना मेरा प्यार काम आयेगा |
मैं  करूँगा  दुआ जब किसी के लिए,  मेरे  होंठों  पे तेरा  भी  नाम  आयेगा ||

मेरी  हस्ती  बड़ी  तो  नहीं  है  मगर,  हाथ   थामूँगा   तेरा,   निभाऊँगा   मैं,
दोस्त तूफाँ में होगी जो कश्ती तेरी, बन के साहिल मेरा हर कलाम आयेगा ||

बात  हो  शाम  की  या  सुबह  की  किरण, तेरी राहों से काँटे चुनेगा ये दिल,
कोई तुझको निहारे, न चाहूँगा मैं, बन के चिलमन मेरा हर सलाम आयेगा ||

मुस्कुराकर किसी को जो देखोगे तुम, दिल जलेगा मगर मैं ये सह जाऊँगा,
दर्द भी तेरा सहने की खातिर कभी,  दोस्त  हाथों  में  मेरे  न  जाम आयेगा ||

कोशिशें  यूँ  न  कर  भूलने  की  मुझे, कोई  सपना  नहीं  हूँ  हकीकत  हूँ मैं,
आँख से जब भी छलकेंगे आँसू तेरे, बन के आँचल मेरा हर पयाम आयेगा ||

मेरा  रिश्ता  ये  तुझसे  नया  तो  नहीं,  हमसफ़र  खेल  है  ये  पुराना  बहुत,
देखना  एक  दिन  ये  बताने  तुझे,  खुद  ज़हां के खुदा का निजाम आयेगा ||
                                    
                                  रचनाकार - अभय दीपराज

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