ग़ज़ल
प्यार मुहब्बत गर हसरत है, हमें प्यार बरसाना होगा |
नफरत करने वालों को बस, नफरत का फल खाना होगा ||
मेरी मौत है मुमकिन लेकिन, मानवता की ज़ात अमर है,
मेरे बाद भी इस दुनिया में, मेरा ये अफ़साना होगा ||
आज जिसे रौंदा है तूने, ये सच है कल उसका होगा,
शायद कल तेरी हस्ती के दम से जग बेगाना होगा ||
खुद को गगन समझने वाले, ज़र्रों की तौहीन न कर,
ढक देगा वो तुझे धूल से, गर तूफां को आना होगा ||
हक है तुमको, प्यार करो या नफरत बाँटो दुनिया में,
लेकिन, तुम जो दोगे वो ही दुनिया का नजराना होगा ||
लिखा गया है यही अभी तक , यही कहा और सूना गया,
प्यार बाँटने वाला अपना और दुश्मन बेगाना होगा ||
रचनाकार - अभय दीपराज
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