Monday, October 25, 2010

GHAZAL - 22

                       ग़ज़ल

प्यार  मुहब्बत  गर  हसरत  है,  हमें प्यार बरसाना होगा |
नफरत करने वालों को बस, नफरत का फल खाना होगा ||

मेरी मौत है मुमकिन लेकिन, मानवता की ज़ात अमर है,
मेरे  बाद  भी  इस  दुनिया  में,  मेरा  ये  अफ़साना  होगा ||

आज  जिसे  रौंदा  है  तूने,  ये सच  है  कल  उसका होगा,
शायद  कल  तेरी  हस्ती  के  दम  से  जग  बेगाना  होगा ||

खुद  को  गगन  समझने  वाले,  ज़र्रों  की  तौहीन  न कर,
ढक   देगा  वो  तुझे  धूल  से,  गर  तूफां   को आना होगा ||

हक  है  तुमको,  प्यार  करो  या  नफरत  बाँटो दुनिया में,
लेकिन,  तुम  जो  दोगे वो ही दुनिया  का  नजराना होगा ||

लिखा गया है यही अभी तक ,  यही कहा और सूना गया,
प्यार  बाँटने  वाला  अपना  और   दुश्मन  बेगाना  होगा  ||
                          रचनाकार - अभय दीपराज

No comments:

Post a Comment