ग़ज़ल
ये दुनिया तुझको गम देगी, इंसान तुझे सहना होगा |
ये जो चाहे बनना होगा, ये जब चाहे ढहना होगा ||
ये जीवन तेरा या मेरा, तोहफा है दुनिया वालों का,
इसकी लहरों में खोकर ही, हरदम तुझको बहना होगा ||
है फ़र्ज़ तेरा उनको सुनना, ये ही बस तेरी नियति है,
दुनिया तो बस वो बोलेगी, जो भी उसको कहना होगा ||
एक झूठ गुमां है तेरा ये, तू गर खुद को आज़ाद कहे,
तू एक रहन है रिश्तों में, बँधकर तुझको रहना होगा ||
जीने की सच्ची राह यही, हर गम को तू एक दीप बना,
तू दुनिया की खातिर मिटकर ही, दुनिया का गहना होगा ||
रचनाकार - अभय दीपराज
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