Sunday, October 24, 2010

GHAZAL - 20

                         ग़ज़ल

ये  दुनिया  तुझको  गम  देगी,  इंसान  तुझे  सहना होगा |
ये   जो   चाहे   बनना   होगा,  ये  जब  चाहे  ढहना होगा ||

ये  जीवन  तेरा  या  मेरा,  तोहफा  है  दुनिया  वालों  का,
इसकी  लहरों  में  खोकर  ही,  हरदम तुझको बहना होगा ||

है  फ़र्ज़  तेरा  उनको  सुनना,  ये  ही  बस  तेरी  नियति है,
दुनिया  तो  बस  वो  बोलेगी,  जो भी उसको कहना होगा ||

एक  झूठ  गुमां  है  तेरा  ये,  तू  गर  खुद को आज़ाद कहे,
तू  एक  रहन  है  रिश्तों  में,  बँधकर  तुझको रहना होगा ||

जीने  की  सच्ची राह  यही,  हर गम को तू एक दीप बना,
तू दुनिया की खातिर मिटकर ही, दुनिया का गहना होगा ||

                          रचनाकार - अभय दीपराज

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